स्पंदन--14 -- जुलाई-अक्टूबर 10

वर्ष-5 ----- अंक-2 ----- जुलाई-अक्टूबर 10

सम्पादकीय
काव्य को कठिनता से मुक्ति चाहिए


अभिमत
डॉ0 अलकारानी पुरवार
कान्ति श्रीवास्तव


कविताएँ

डॉ0 मोहन ‘आनन्द’
रमेशचन्द्र शर्मा
डॉ0 महावीर प्रसाद चंसौलिया
कवि चमन ठाकुर
राधेश्याम योगी
डॉ0 प्रभा दीक्षित
आर0डी0अग्रवाल ‘प्रेमी’
डॉ0 सुनील गुप्ता ‘तन्हा’
डॉ0 अंजलि दीवान
डॉ0 रीता हजेला ‘आराधना’
गुरु प्रताप सिंह ‘आग’
डॉ0 शशिकला त्रिपाठी
देवी नागरानी

मालती शर्मा
नीरज पाण्डेय
देवेन्द्र कुमार मिश्रा
पी0एस0भारती

दिनेशचन्द्र दुबे
रवीन्द्रनाथ मिश्रा
सुभाष गुप्ता ‘स्नेही’
सुकीर्ति भटनागर
कुन्दन पाटिल
डॉ0 अशोक पाण्डेय ‘गुलशन’
डॉ0 श्याम मनोहर व्यास
डॉ0 महेन्द्र भानावत
अश्विनी कुमार ‘आलोक’
राजेन्द्र ग्रोबर
पं0 हरगोविन्द तिवारी ‘कविहृदय
निर्मल प्रकाश श्रीवास्तव
संजीव वर्मा ‘सलिल’
वेद ‘व्यथित’
नरेन्द्र कुमार

ग़ज़ल
डॉ0 हरिकृष्ण प्रसाद गुप्ता ‘अग्रहरि’
हितेश कुमार शर्मा
अनिल वर्मा
ओम रायजादा
रसूल अहमद ‘सागर’
डॉ0 नौशाद सुहैल ‘दतियावी’
ख्याल खन्ना
जयसिंह अलवरी
माधव अग्रवाल

आलेख
नयी कविता/डॉ0 दिनेशचन्द्र द्विवेदी
पुरस्कारों की दौड़ और हिन्दी कविता/राम शिवमूर्ति यादव
सूफी काव्य में प्रेम तत्व/डॉ0 प्रवीण कुमार सक्सेना ‘उजाला’

डॉ0 हरगोविन्द सिंह और सद्विचार सतसई/डॉ0 लखनलाल पाल

युवा स्वर

मैं अकेला खड़ा रह गया/हेमंत

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

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