गीत-डॉ0 मोहन ‘आनन्द’ -- क्या-क्या याद रखूँ, छाया संकट टला नहीं


जुलाई-अक्टूबर 10 ---------- वर्ष-5 अंक-2
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गीत-डॉ0 मोहन ‘आनन्द’
क्या-क्या याद रखूँ


क्या-क्या याद रखूँ रे मोहन, क्या-क्या जाऊँ भूल।
पल-पल लगी झोंकने दुनिया, इन आँखों में धूल।।
क्या सुन्दर बाज़ार सजा है,
लो खरीद जो मन को भाए।
मन चंचल एकाग्रित ना हो,
पलक-पलक पर पल्टी खा जाए।।
दिखते फूल, पास जाने पर चुभ जाते हैं शूल।
पल-पल लगी झोंकने दुनिया, इन आँखों में धूल।।
जो जो पाया तुम सच मानो,
गाँठ रखा ना, हँसकर बाँटा।
जब भी कदम बढ़ाया पथ पर,
चुभा कठिन दर्दीला काँटा।।
दोनों हाथों दिया, वक्त पर वापस मिला न मूल।
पल-पल लगी झोंकने दुनिया, इन आँखों में धूल।।
किस किसने कब कहाँ-कहाँ
पर, कितना मूल वसूला।
चूक हुई न फिर भी
पल-पल होते आगबबूला।।
चुका-चुका कर हार गया हूँ बेगारी मासूल।
पल-पल लगी झोंकने दुनिया, इन आँखों में धूल।।
डरना सीखा नहीं, समय ने
बहुत सताया, बहुत धकेला।
हर हालत में कठिन पंथ पर
निर्भय चलता रहा अकेला।।
इसी तरह चलता जाऊँगा, काँटे मिलें या फूल।
पल-पल लगी झांकने दुनिया, इन आँखों में धूल।।

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छाया संकट टला नहीं


मानवता के सिर पर छाया संकट टला नहीं,
जला-जलाकर हार गये पर रावण जला नहीं।

अब लगता अनंग होकर वह, हम सबमें घुस आया।
बुद्धि और विवेक के ऊपर साया बनकर छाया।
हार थके पर ढूँढ न पाये, कोई सफल उपाय।
पुतलाओं के खड़े सामने हाथ जोड़ असहाय।।

इस दिखावटी दंभ दहन में दिखता भला नहीं,
जला-जलाकर हार गये पर रावण जला नहीं।

सच पूछो तो अपने दिल में हमने उसे बसाया।
कदम-कदम पर आँख मूँदकर उसका साथ निभाया।
धौंस दिखाते इर्द-गिर्द सब दर्शाते अभिमान।
सिर्फ प्रदर्शित करते हैं हम कालजयी बलवान।।

सच्चाई पर कभी झूठ का खंजर चला नहीं,
जला-जलाकर हार गये पर रावण जला नहीं।

तेरा रावण मेरे रावण पर करता मनमानी।
तेरे मेरे बीच विषमता की है यही कहानी।
तू अपने रावण के वश में फिरता है बौराया।
मुझे समझने कभी न देता दुर्गुण दम्भ हमारा।।

स्वयं सम्भाले बिना सम्भलना होता भला नहीं,
जला-जलाकर हार गये पर रावण जला नहीं।

अगर जलाना चाह रहे हैं रावण कुम्भकरण को।
करना नष्ट समूल सृष्टि पर छाये छद्म वरण को।
अगर चाहते अच्छाई की हो विजय बुराई पर।
तो अंकुश कसना होगा अपने में छुपी बुराई पर।।

कभी दिखावे से देखा है होता भला नहीं,
जला-जलाकर हार गये पर रावण जला नहीं।

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सुन्दरम बंगला,
50 महाबली नगर, कोलार रोड, भोपाल-462042

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

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