युवा स्वर -- हेमन्त -- तुम हँसी


युवा कवि हेमंत का जन्म 23 मई 1977 को उज्जैन (म0प्र0) में हुआ। वे देश की सुविख्यात वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती संतोष श्रीवास्तव के पुत्र हैं। प्रारम्भिक शिक्षा आगरा से सम्पन्न करने के बाद मुम्बई से अपनी शिक्षा सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में पूरी की। चित्रकला एवं गिटारवादन में विशेषज्ञता प्राप्त एवं प्रादेशिक स्तर पर नाटकों का मंचन भी करने वाले हेमन्त ने 15 वर्ष की उम्र से ही कविताएँ लिखना प्रारम्भ कर दिया था। हेमंत ने उर्दू, मराठी का ज्ञान रखने के साथ-साथ हिन्दी, अंग्रेजी में सिद्धहस्त रूप से कविता लेखन कार्य किया है। प्रतिभा के ध्ानी हेमंत 05 अगस्त 2000 की शाम को एक दुर्घटना का शिकार होकर हम सब के बीच अपने परिपक्व विचार अपने कविता संग्रह ‘मेरे रहते’ के रूप में छोड़ गये हैं। उनकी कविताओं का यहां ‘युवा स्वर’ स्तम्भ में नियमित प्रकाशन कर ऐसे होनहार पुत्र, प्रतिभाशाली व्यक्तित्व को इस रूप में विनम्र श्रद्धांजलि.... स्पंदन परिवार



जुलाई-अक्टूबर 10 ---------- वर्ष-5 अंक-2
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युवा स्वर-हेमन्त
तुम हँसी


तुम हँसी!
डाल से ताजी पँखुरियाँ झर गईं।
घोंसलों में दुबकी
गौरैयाँ सब चौंक गईं
लिपे पुते आँगन में
खीलें बिखर गईं,
तुम हँसी!

दूर-दूर चाँदनी छिटक गई।
नदी-तट की बालू पर
चाँदी बिखर गई,
तुम हँसी!

ओस नशा बन गई
दूब लचक-लचक गई,
पोर-पोर झूम गई।
मन लगा जागने
तनहाई टूट गई।
तुम चुभीं दिल में
कामना की कील सी,
तुम हँसी!

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श्रीमती संतोष श्रीवास्तव,
102, सद्गुरु गार्डन, तरुण भारत सोसायटी,
बी0एम0सी0 स्कूल के पास, चकला,
अंधेरी (पूर्व), मुम्बई - 400099

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

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