गीत-नीरज पाण्डेय


जुलाई-अक्टूबर 10 ---------- वर्ष-5 अंक-2
--------------------------------------------------------
गीत-नीरज पाण्डेय


मैं काली कामरिया जिस पर
दूजा रंग नहीं चढ़ता है।
कोई रंग जब कभी मुझ पर
आया अपना रंग जमाने
मैं तो रहा यथावत वह ही
उल्टा मुझमें लगा समाने
मैं जितना भीगूँ उतना ही
मेरा वजन और बढ़ता है।
मैं काली कामरिया जिस पर
दूजा रंग नहीं चढ़ता है।
जिसके जैसे जी में आये
मेरे हाव-भाव को जाँचे
मेरे चेहरे की पुस्तक को
जो चाहे जैसे भी बाँचे
मुझे नहीं परवाह कि कोई भी
मुझमें क्या-क्या पढ़ता है।
मैं काली कामरिया जिस पर
दूजा रंग नहीं चढ़ता है।
नहीं किसी से अनबन अपनी
सब लोगों से है याराना
नहीं पराया कहा किसी को
सबको मैंने अपना माना
फिर भी समय न जाने
कैसी-कैसी अफवाहें गढ़ता है।
मैं काली कामरिया जिस पर
दूजा रंग नहीं चढ़ता है।

==================================
बी0पी0ए0 मेमोरियल पब्लिक स्कूल
सताँव - रायबरेली (उ0प्र0)

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

  © Free Blogger Templates Photoblog III by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP