मुक्तक-डॉ0 अशोक पाण्डेय ‘गुलशन’


जुलाई-अक्टूबर 10 ---------- वर्ष-5 अंक-2
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मुक्तक-डॉ0 अशोक पाण्डेय ‘गुलशन’


आओ बैठो पास हमारे हम तुम दिल की बात करें,
सागर की लहरें गिन-गिन कर हम साहिल की बात करें।
बाहों में तुम को भर लें कुछ प्यार की बातें कर डालें,
हाथ तुम्हारा छूकर आओ हम मंजिल की बात करें।।1।

तुम अपने प्यार की पाती हमारे नाम लिख देना,
लिखूँगा मैं तुम्हें राधा, मुझे घनश्याम लिख देना।
मैं अपने गीत में गुलशन तुम्हारा नाम लिखूँगा,
तुम अपने शेर में मुझको उमर खैयाम लिख देना।।2।

तुम्हारे होंठ हैं प्यासे तो मेरे भी अधर प्यासे,
उधर हो तुम अगर प्यासे तो हम भी हैं इधर प्यासे।
तुम्हारे प्यार में अपना हुआ है हाल कुछ ऐसा,
है दोनों की नजर प्यासी हैं दोनों के जिगर प्यासे।।3।

तुम्हारी याद में गुजरे हैं सुबहो शाम पढ़ लेना,
जो भेजा है तुम्हे खत में वही पैगाम पढ़ लेना।
तुम्हारा हाथ छूकर के अधर ने लिख दिया जिसको,
तुम्हारे माथ पर अंकित वही तुम नाम पढ़ लेना।।4।

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उत्तरी कानूनगोपुरा,
बहराइच, उ0प्र0-271801

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

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