ग़ज़ल

ग़ज़ल ======= मार्च -जून 06

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अमृताधीर

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(1)


हम थे नादान बहुत और तुम भी लापरवा।
शाख वो जिसपे नशेमन था लोग तोड़ गये।।
जिनकी आँखों में तलाशा था सहारा हमने।
पहले ही मोड़ पे वो हाथ मेरा छोड़ गये।।
ऐसे कातिल को भला कौन सजा दे यारो।
एक मुस्कान से जो दिल हमारा तोड़ गये।।
दिल है ग़मगीन मेरा लब पे तबस्सुम है मगर।
दर्द कुछ इतना बढ़ा अश्क साथ छोड़ गये।।



(2)


बीमारे मोहब्बत को इलजाम न दीजिए।
तूफान का साहिल से अंदाज न लीजिए।
बोतल का, मय का, आँखों का सुरुर जानिए।
पीने से पहले शेख जी तौबा न कीजिए।।
दिल और दिमाग, रूह का सुकूं जो चाहिए।
तो मेरा मशविरा है मोहब्बत न कीजिए।।
इक दौर था, इक उम्र थी और इक जुनून।
गुजरे हुये लमहों को आवाज न दीजिए।।
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शोध छात्रा (हिन्दी) विनोबाभावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग, बिहार

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

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