कठपुतली लड़की पूजा

कोपल ======= मार्च -जून 06

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कठपुतली लड़की पूजा
देविना सिंह गुर्जर
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रामपुर गाँव में यतेन्द्र नाम का एक कठपुतली बनाने वाला रहता था। वह लकड़ियाँ काटता और उनसे कठपुतलियाँ बनाकर उनमें तरह-तरह के रंग भर कर बाजार में बेचता था। उसके जीविकोपार्जन का वही साधन था। उसके परिवार में केवल वह और उसकी पत्नी थी। उनके एक भी सन्तान न थी। लेकिन उसे बच्चे विशेष रूप से लड़कियों से बहुत लगाव था। उसके पड़ोस में जितने भी परिवार थे उन परिवारों में एक तो लड़कियाँ न थी और जिनके लड़कियाँ थी भी तो उन्हें लड़कों की अपेक्षा अपने माता पिता का उतना प्यार नहीं मिलता था। उनके माता पिता न ही उन्हें स्कूल भेजते और न उन्हें कहीं घूमने फिरने की इजाजत देते थे। यह सब देखकर यतेन्द्र बहुत दुःखी रहता था क्योंकि उसका मानना था कि यही लड़कियाँ माँ बनकर हमे इस संसार में जन्म देती है।
एक दिन जब यतेन्द्र रोज की तरह जंगल में लड़कियाँ काटने गया। अपनी कुल्हाड़ी से एक पेड़ काटकर जैसे ही पेड़ की लकड़ी को छीलने लगा तो अचानक उसे एक आवाज सुनाई पड़ी जैसे कोई कह रहा हो ‘कृपया मुझ पर रहम करो’। इस पर यतेन्द्र ने चारों ओर मुड़कर देखा पर वहाँ पर कोई ना था। पुनः वह अपना काम करने लगा थोड़ी देर बाद फिर एक दर्द भरी आवाज सुनाई पड़ी जैसे कोई रोते हुये कह रहा हो ‘मुझ पर दया करो’। इस बार यतेन्द्र ने महसूस किया शायद ये लकड़ी ही बोल रही है। यतेन्द्र उस लकड़ी को अपने घर ले गया और घर आकर उसने यह सारी बात अपनी पत्नी को बताई। तब दोनों ने उस लकड़ी से एक लड़की बनाने का निर्णय लिया। यतेन्द्र ने बहुत सावधानी से एक सुन्दर लड़की कठपुतली तैयार की। उन दोनों ने उस कठपुतली का नाम पूजा रखा। जब यतेन्द्र उसमें रंग भर रहा था तो वह लड़की आम लड़कियों की तरह कभी अपनी पलकें झपकाती तो कभी मुस्कराती क्योंकि वह जादुई लड़की थी जिससे पूजा बनी थी। थोड़ी ही देर में पूजा बच्चों की तरह यतेन्द्र के घर में इधर से उधर दौड़ने लगी तथा अपनी शैतानियों से उन दोनों को तंग करने लगी। पूजा ने उनके जीवन में बच्चे की कमी पूरी कर दी थी। इस कारण यतेन्द्र और उसकी पत्नी उस कठपुतली लड़की से बहुत प्यार करने लगे थे। पूजा की वजह से उनके जीवन में खुशियाँ आ गयी थी।
यतेन्द्र के पड़ोसी उस लड़की को बहुत सताते और चिढ़ाते थे कि तुम सचमुच की लड़की नही हो, तुम एक कठपुतली लड़की हो। यह रोज सुन-सुनकर वह एक दिन बहुत रोने लगी और घर छोड़ कर चली गई। अपने घर से बहुत दूर एक पेड़ के नीचे वह बैठकर रोते हुये सोचने लगती है कि भगवान ने मुझे इतने अच्छे लड़कियों से प्यार करने वाले माता पिता दिये लेकिन मुझे सचमुच की लड़की नहीं बनाया। तभी वहाँ एक बहुत सुन्दर परी आती है और उसे सचमुच की लड़की बना देती है साथ ही उसे आशीर्वाद देती है कि ‘वह पढ़कर कुछ बन के दिखाये। वह अपने माता पिता का नाम रोशन करे क्योंकि उन्होंने ही पूजा को कठपुतली लड़की बनाया था अगर वह चाहते तो वे कठपुतली लड़का भी बना सकते थे। और कुछ बन कर दिखा के लड़का और लड़की के बीच के भेदभाव को दूर करे।’ इतना कहकर परी गायब हो जाती है और फिर पूजा घर लौट जाती है। यतेन्द्र और उसकी पत्नी पूजा को सचमुच की लड़की देखकर बहुत खुश होते है तथा उसे और भी अच्छे से पालने पोसने लगते है।
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महर्षि विद्या मंदिर, उरई

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